अटल बिहारी वाजपेयी का निधन: युग का अंत/अटल बिहारी वाजपेयी (अंग्रेज़ी: Atal Bihari Vajpayee, जन्म- 25 दिसंबर, 1924, ग्वालियर; मृत्यु- 16 अगस्त, 2018, नई दिल्ली)
अटल बिहारी वाजपेयी
-पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी का गुरुवार को निधन
-पाँच साल का कार्यकाल पूरा करने वाले पहले ग़ैर कांग्रेसी प्रधानमंत्री
-18 साल की उम्र में राजनीति में रखा था कदम
-1957 में पहली बार बने लोकसभा सांसद, 47 साल तक संसद सदस्य रहे
-10 बार लोकसभा और दो बार राज्यसभा के लिए चुने गए
-केंद्र सरकार ने उनके निधन पर 7 दिन के शोक की घोषणा की
भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का निधन हो गया है. लंबे समय से बीमार चल रहे 93 वर्षीय वाजपेयी जून महीने से ही नई दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में भर्ती थे.
एम्स ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेयी ने गुरुवार की शाम पाँच बजकर पाँच मिनट पर अंतिम सांस ली.
उन्हें इसी वर्ष जून में किडनी में संक्रमण और कुछ अन्य स्वास्थ्य समस्याओं की वजह से एम्स में भर्ती कराया गया था.
उनका शव शुक्रवार को नई दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी के हेडक्वार्टर में श्रद्धांजलि के लिए रखा जाएगा. उनकी अंतिम क्रिया विजयघाट पर शुक्रवार को शाम 5 बजे की जाएगी.
भारत रत्न से सम्मानित वाजपेयी तीन बार भारत के प्रधानमंत्री रहे, पहली बार 1996 में 13 दिनों के लिए फिर 1998 से 1999 और आखिरी बार 1999 से 2004 तक.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि वाजपेयी के निधन से एक युग का अंत हो गया है.
देश के प्रधानमंत्री के साथ ही अटल बिहारी वाजपेयी एक सर्वप्रिय कवि, वक्ता और समावेशी राजनीति के पर्याय थे.
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्वीट किया, "भारत ने आज एक महान सपूत खो दिया. पूर्व प्रधानमंत्री, अटल बिहारी वाजपेयी जी लाखों के चहेते थे. मेरी संवेदनाएं उनके परिवार और प्रशंसकों के साथ हैं. हमें हमेशा उनकी कमी अखरेगी."
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भी ट्वीट के ज़रिए उन्हें श्रद्धांजलि दी.
राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने राजमाता और वाजपेयी की तस्वीर ट्वीट कर बता रही हैं कि उन्हीं दोनों की छाया में उन्होंने राजनीति में अपना पहला कदम रखा था.
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बैनर्जी ने भी ट्वीट में वाजपेयी को 'स्टेटस्मैन' बताया है.
जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्लाह ने कहा कि वाजपेयी का जाना उनके लिए निजी क्षति है.
बीजेपी नेता शाहनवाज़ हुसैन ने वाजपेयी की कविता के माध्यम से उन्हें श्रद्धांजलि दी.
कांग्रेस नेता सलमान सोज़ लिखते हैं कि कश्मीर में शांति के लिए अटल जी एक आशा की तरह थे.
राजनीतिज्ञों के अलावा हिंदी सिनेमा के लोग भी वाजपेयी को विनम्र श्रद्धांजलि दे रहे हैं. अभिनेता फ़रहान अख़्तर ने लिखा है कि शांति और एकता के साधने वाले व्यक्ति के रूप में याद किया जाएगा.
अभिनेता बमन ईरानी ने लिखा है कि ऐसा बहुत कम होता है कि किसी व्यक्ति को राजनीति में सबसे इतना प्यार और सम्मान मिले.
अभिनेता संजय दत्त ने लिखा है कि वाजपेयी उनके परिवार के क़रीबी थे और उनका जाना देश के लिए बड़ी क्षति है.
एक स्कूल टीचर के घर में पैदा हुए वाजपेयी के लिए शुरुआती सफ़र आसान नहीं था. 25 दिसंबर 1924 को ग्वालियर के एक निम्न मध्यमवर्ग परिवार में जन्मे वाजपेयी की प्रारंभिक शिक्षा-दीक्षा ग्वालियर के ही विक्टोरिया (अब लक्ष्मीबाई) कॉलेज और कानपुर के डीएवी कॉलेज में हुई थी.
उन्होंने राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर के बाद पत्रकारिता में अपना करियर शुरू किया. उन्होंने राष्ट्र धर्म, पांचजन्य और वीर अर्जुन का संपादन किया.
जनसंघ और भाजपा
1951 में वो भारतीय जनसंघ के संस्थापक सदस्य थे. अपनी कुशल भाषण कला शैली से राजनीति के शुरुआती दिनों में ही उन्होंने रंग जमा दिया. हालांकि लखनऊ में एक लोकसभा उप चुनाव में वो हार गए थे.
दरअसल 1957 में जनसंघ ने उन्हें तीन लोकसभा सीटों लखनऊ, मथुरा और बलरामपुर से चुनाव लड़ाया. लखनऊ में वो चुनाव हार गए, मथुरा में उनकी ज़मानत ज़ब्त हो गई, लेकिन बलरामपुर से चुनाव जीतकर वो दूसरी लोकसभा में पहुंचे.
इसके साथ ही उन्होंने संसद के गलियारे में अपनी पांच दशकीय संसदीय करियर की शुरुआत की थी.
1968 से 1973 तक वो भारतीय जनसंघ के अध्यक्ष रहे. विपक्षी पार्टियों के अपने दूसरे साथियों की तरह उन्हें भी आपातकाल के दौरान जेल भेजा गया.
1977 में जनता पार्टी सरकार में उन्हें विदेश मंत्री बनाया गया. इस दौरान संयुक्त राष्ट्र अधिवेशन में उन्होंने हिंदी में भाषण दिया और वो इसे अपने जीवन का सबसे सुखद क्षण बताते थे.
1979 में जनता सरकार के गिरने के बाद 1980 में भारतीय जनता पार्टी का गठन किया गया. वाजपेयी इसके संस्थापक सदस्य थे और पहले अध्यक्ष भी.
1980 से 1986 तक वो बीजेपी के अध्यक्ष रहे और इस दौरान वो बीजेपी संसदीय दल के नेता भी रहे.
तीन बार बने प्रधानमंत्री
अटल बिहारी वाजपेयी 10 बार लोकसभा के लिए चुने गए. वो दूसरी लोकसभा से चौदहवीं लोकसभा तक संसद के सदस्य रहे. बीच में कुछ लोकसभाओं से उनकी अनुपस्थिति भी रही. ख़ासतौर से 1984 में जब वो ग्वालियर में कांग्रेस के माधवराव सिंधिया के हाथों पराजित हो गए थे.
1962 से 1967 और 1986 में वो राज्यसभा के सदस्य भी रहे.
16 मई 1996 को वो पहली बार प्रधानमंत्री बने. लेकिन लोकसभा में बहुमत साबित नहीं कर पाने की वजह से 31 मई 1996 को उन्हें इस्तीफ़ा देना पड़ा. इसके बाद 1998 तक वो लोकसभा में विपक्ष के नेता रहे.
1998 के आम चुनावों में सहयोगी पार्टियों के साथ उन्होंने लोकसभा में अपने गठबंधन का बहुमत सिद्ध किया और इस तरह एक बार फिर प्रधानमंत्री बने.
लेकिन यह सरकार भी केवल 13 महीनों तक ही चल सकी. एआईएडीएमके द्वारा गठबंधन से समर्थन वापस ले लेने के बाद उनकी सरकार गिर गई और एक बार फिर आम चुनाव हुए.
1999 में हुए चुनाव राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के साझा घोषणापत्र पर लड़े गए और इन चुनावों में वाजपेयी के नेतृत्व को एक प्रमुख मुद्दा बनाया गया. गठबंधन को बहुमत हासिल हुआ और वाजपेयी ने एक बार फिर प्रधानमंत्री की कुर्सी संभाली.
2009 में सत्ता की राजनीति से संन्यास लेते वक्त वो लखनऊ से सांसद थे. उन्हें 2014 में देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से नवाज़ा गया. नरेंद्र मोदी सरकार उनके जन्मदिन 25 दिसंबर को 'गुड गवर्नेंस डे' के तौर पर मनाती है.
बतौर प्रधानमंत्री उनकी सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक मई 1998 में परमाणु बम का परीक्षण शामिल है. पोखरन-2 के साथ ही उनके कार्यकाल के दौरान कई ऐसी घटनाएं हुईं जिन्हें आज भी याद किया जाता है. इनमें करगिल युद्ध, लाहौर समिट, इंडियन एयरलाइंस का विमान हाइजैक, 2001 में संसद पर आतंकी हमला, 2002 में गुजरात दंगे आदि शामिल हैं.
अटल बिहारी वाजपेयी के निधन पर बोले PM मोदी- पिता तुल्य संरक्षक का उठा साया
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का दिल्ली के एम्स में गुरुवार शाम पांच बजकर पांच मिनट पर निधन हो गया. इसके बाद देश भर में शोक की लहर दौड़ गई. वहीं, वाजपेयी के निधन के बाद नेताओं और अन्य हस्तियों का एम्स में तांता लग गया. वाजपेयी के निधन की जानकारी सामने आते ही केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह भी एम्स पहुंच गए. अटल बिहारी वाजपेयी का पार्थिव शरीर दिल्ली के कृष्णा मेनन मार्ग स्थित आवास पर रखा गया.
फिल्म अभिनेता और वाजपेयी सरकार में केंद्रीय मंत्री रहे शत्रुघ्न सिन्हा ने उनके निधन पर कहा कि उन्होंने एक तरह से अपना पिता खो दिया है. उनके निधन से भारतीय राजनीति में एक युग का अंत हो गया है. वह न सिर्फ महान राजनेता थे बल्कि शानदार वक्ता भी थे. उनके जाने से ऐसा लग रहा है कि हम अनाथ हो गए हैं.
बीजेपी सांसद सिन्हा ने कहा, 'मैं आज अनाथ महसूस कर रहा हूं. वह एक सच्चे राजनेता और अतुलनीय वक्ता भी थे.' उन्होंने लाल कृष्ण आडवाणी को गॉडफादर करार दिया तो वाजपेयी को पितातुल्य बताया और हमें राष्ट्र निर्माण में राजधर्म का पालन करना चाहिए.
यूपीए अध्यक्ष और पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी भी वाजपेयी के निधन पर शोक जताया. उन्होंने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी के निधन से उन्हें गहरा दुख हुआ है. वह लोकतांत्रिक मूल्यों को समझते थे और बतौर सांसद, कैबिनेट मंत्री और प्रधानमंत्री के रूप में हमेशा इसी का प्रदर्शन किया है. वह एक महान वक्ता थे.
'देश ने अटल रत्न खोया'
- पीएम मोदी ने अटल बिहारी वाजपेयी के निधन पर दुख जताया है. उन्होंने कहा, 'स्वर और शब्द देने वाले हम सभी के प्रेरणा स्रोत अटल बिहारी वाजपेयी अब नहीं रहे. वाजपेयी के रूप में भारतवर्ष ने अपना अनमोल, अटल रत्न खो दिया है. अटल का विराट व्यक्तित्व और उनके जाने का दुख दोनों ही शब्दों के दायरे से परे हैं. वो एक जननायक, प्रखर वक्ता, ओजस्वी कवि, पत्रकार, प्रभावशाली अंतरराष्ट्रीय व्यक्ति के धनी और सबसे बढ़कर मां भारती के सच्चे सपूत थे.
- पीएम मोदी ने कहा, 'वाजपेयी के निधन से एक युग का अंत हो गया. उनका निधन संपूर्ण राष्ट्र के लिए अपूर्णीय क्षति है. मेरे लिए तो वाजपेयी का जाना पिता तुल्य संरक्षण का साया सिर से उठने जैसा है. उन्होंने मुझे संगठन और शासन दोनों का महत्व समझाया. दोनों में काम करने की शक्ति और सहारा दिया. वो जब भी मिलते थे, तो पिता की तरह खुश होकर....आत्मीयता के साथ गले लगाते थे.'
- पीएम ने कहा, 'मेरे लिए वाजपेयी का जाना ऐसी कमी है, जो कभी भर नहीं पाएगी. वाजपेयी ने अपने कुशल नेतृत्व और अविरल संघर्ष के द्वारा जनसंघ से लेकर भाजपा तक इन संगठनों को मजबूती के साथ खड़ा किया. उन्होंने भाजपा के विचारों और नीतियों को देश में जन-जन तक पहुंचाने का कार्य किया. उन्हीं के दृढ़ निश्चय का परिणाम है कि भाजपा की यात्रा यहां तक पहुंची है.'
- पीएम मोदी ने कहा, 'वाजपेयी हमें छोड़कर भले ही चिर निद्रा में लीन हो गए हैं, लेकिन उनका जीवन, उनकी सदगी और उनका दर्शन हम समस्त भारतवासियों के लिए हमेशा प्रेरणा देता रहेगा. उनका ओजस्वी और तेजस्वी व्यक्तित्व सदा हम देशवासियों का मार्गदर्शन करता रहेगा. अपार शोक की इस घड़ी में मेरी संवेदना, उनके परिवार और समस्त देशवासियों के साथ है. इस दुख की घड़ी में मैं वाजपेयी के चरणों में आदरपूर्वक अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं.'
वाजपेयी के निधन पर क्या बोले अमित शाह
- अटल बिहारी वाजपेयी के निधन पर बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने भी प्रेस कॉन्फ्रेंस की. उन्होंने बताया कि कृष्णा मेनन मार्ग स्थित आवास पर सुबह साढ़े सात बजे से साढ़े आठ बजे तक अटल बिहारी वाजपेयी के अंतिम दर्शन किए जा सकेंगे.
- अमित शाह ने बताया कि शुक्रावर सुबह नौ बजे वाजपेयी के पार्थिव शरीर को बीजेपी मुख्यालय ले जाया जाएगा, जहां से एक बजे उनकी अंतिम यात्रा निकाली जाएगी. इसके बाद दिल्ली स्थित राष्ट्रीय स्मृति स्थल पर गुरुवार शाम उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा.
- वाजपेयी के निधन पर बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी के देहावसान के साथ ही भारतीय राजनीति के आकाश का ध्रुवतारा नहीं रहा. वो बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे. उनके जाने के साथ ही देश ने एक अजातशत्रु राजनेता खोया है. साहित्य ने एक कवि को खोया है. पत्रकारिता ने एक स्वभावगत पत्रकार को खोया है. देश की संसद ने गरीबों की आवाज को खोया है.
- शाह ने कहा कि भारतीय जनसंघ से संस्थापक सदस्य और बीजेपी ने अपना पहला राष्ट्रीय अध्यक्ष खोया है और करोड़ों युवाओं ने अपनी प्रेरणा को खोया है. अटल बिहारी वाजपेयी के न रहने से देश की राजनीति में जो जगह खाली हुई है, उसको लंबे समय तक भर पाना असंभव है. उनका व्यक्तित्व बहु आयामी था.
- अमित शाह ने कहा कि वाजपेयी का निधन बीजेपी के लिए ऐसी क्षति है, जिसकी पूर्ति कभी की ही नहीं जा सकती है. उन्होंने आपातकाल के खिलाफ लड़ाई लड़ी, यूएन में कश्मीर की आवाज बुलंद की, दलगत राजनीति से ऊपर उठकर काम किया और देश की समस्याओं के समाधान के लिए कदम बढ़ाया. मैं वाजपेयी के निधन पर बीजेपी के समर्थकों और कार्यकर्ताओं की ओर से उनके निधन पर गहरी संवेदना व्यक्त करता हूं.
- शाह ने कहा कि समूची संसद का विश्वास होता था कि अटल जो कहेंगे, वो देश हित में होगा. व्यक्ति के जाने से विचार और आंदोलन नहीं समाप्त होते हैं.
- अटल बिहारी वाजपेयी के निधन पर मध्य प्रदेश सरकार ने शुक्रवार को सार्वजनिक छुट्टी की घोषणा की.
- अटल बिहारी वाजपेयी के निधन पर अमेरिका और चीन ने भी दुख जताया.
- पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेयी के निधन पर बिहार में शुक्रवार को सार्वजनिक छुट्टी घोषित
- अटल बिहारी वाजपेयी के निधन के चलते शुक्रवार को राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के सभी बाजार बंद रहेंगे.
- केंद्र सरकार ने अटल बिहारी वाजपेयी के निधन पर सात दिन का राष्ट्रीय शोक घोषित किया है. इस दौरान राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहेगा.
- दिल्ली के राष्ट्रीय स्मृति स्थल पर वाजपेयी का होगा अंतिम संस्कार, तैयारियां शुरू
- शुक्रवार दोपहर 01:00 बजे वाजपेयी की अंतिम यात्रा निकाली जाएगी. यह अंतिम यात्रा बीजेपी दफ्तर से स्मृति स्थल को निकाली जाएगी.
- वाजपेयी का पार्थिव शरीर सुबह नौ बजे बीजेपी मुख्यालय ले जाया जाएगा. यहां उनका पार्थिव शरीर आम लोगों के अंतिम संस्कार के लिए रखा जाएगा.
- सूत्रों के मुताबिक अटल बिहारी वाजपेयी का अंंतिम संस्कार दिल्ली के स्मृति स्थल के पास किया जा सकता है.
- अटल बिहारी वाजपेयी के पार्थिव शरीर को एम्स से उनके कृष्णा मेनन मार्ग स्थित आवास ले जाया गया है. रातभर उनके पार्थिव शरीर को आवास पर ही रखा जाएगा.
- बीजेपी के झंडे को पार्टी मुख्यालय में आधा झुका दिया गया है. वाजपेयी के पार्थिव शरीर को कुछ देर में उनके कृष्णा मेनन मार्ग लाया जाएगा.
- वाजपेयी के निधन के बाद राजघाट के शांतिवन इलाके में भारी संख्या में सुरक्षा बल तैनात किए गए. एसपीजी को भी तैनात किया गया है.
- नितिन गडकरी भी एम्स पहुंच चुके हैं.
तीन बार देश के प्रधानमंत्री रहे वाजपेयी अस्वस्थता के चलते लंबे समय से सार्वजनिक जीवन से दूर थे. वे डिमेंशिया नाम की गंभीर बीमारी से जूझ रहे थे. 2009 से ही वे व्हीलचेयर पर थे, देशवासियों ने उन्हें अंतिम बार 2015 में 27 मार्च को देखा, जब तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी भारत माता के इस सच्चे सपूत को भारत रत्न से सम्मानित करने उनके आवास पर पहुंचे.
दो महीने पहले वाजपेयी की तबीयत और ज्यादा खराब हो गई. यूरिन में इन्फेक्शन के चलते 11 जून को उन्हें एम्स में भर्ती कराया गया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित बीजेपी और देश की अलग-अलग पार्टियों के नेता और अनेक गणमान्य हस्तियां उनका हालचाल जानने पहुंचीं. उनके समर्थक लगातार उनकी सलामती की दुआ कर रहे थे, हालांकि कुदरत को शायद कुछ और मंजूर था.
अटल बिहारी वाजपेयी देश की सक्रिय राजनीति में पांच दशक से ज्यादा समय तक रहे. वे देश के पहले गैरकांग्रेसी प्रधानमंत्री थे. उन्होंने अपना पहला लोकसभा चुनाव 1952 में लड़ा, हालांकि पहली जीत उन्हें 1957 में मिली. तब से 2009 तक वे लगातार संसदीय राजनीति में बने रहे. 1977 में वे पहली बार मंत्री बने, जबकि 1996 में वे 13 दिन के लिए प्रधानमंत्री भी रहे.
हालांकि 1998 में उन्हें एक बार फिर पीएम बनने का मौका मिला. उनकी ये सरकार भी सिर्फ 13 महीने चली लेकिन इसके बाद हुए लोकसभा चुनाव में एनडीए गठबंधन के बहुमत वाली सरकार बनी और वाजपेयी ने पीएम के रूप में अपना कार्यकाल पूरा किया. 1991, 1996, 1998, 1999 और 2004 में वे लखनऊ से लोकसभा सदस्य चुने गए.
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